Sunday 1 November 2015

एक साथ तीन जवान लडकी की चुदाई दिल्ली में Delhi Me Chudayi

दिल्ली में मैं शुरुआत में अपने मामाजी के यहाँ शुरुआत के 6 महीने तक रहा। इस दौरान मैंने एक जॉब ढूंढ ली और एक कन्स्ट्रशन साइट पर सुपरवाइज़र के तौर पर काम करने लगा। यहाँ मेरे साथ काम करने वाले सभी लोग पुरुष थे.. कुछ के परिवार दिल्ली में ही थे.. तो कुछ लोग अकेले ही काम कर रहे थे। मेरी पढ़ाई सिर्फ़ डिप्लोमा तक ही थी.. पर मुझे आगे और पढ़ना था और मैंने ग्रेजुएशन की तैयारी शुरू कर दी थी।
दिल्ली में पार्ट टाइम बी-टेक में एडमिशन लेकर मैं पढ़ने लगा।

जब मेरे साथ काम करने वाले वरिष्ठ लोगों को इसका पता चला तो उन्होंने भी मेरा उत्साहवर्धन किया।मैं साइट पर काम करने वाले लोगों में उम्र में सबसे छोटा था और उन सभी का व्यवहार मेरे लिए एक छोटे बालक जैसा ही था.. पर जॉब की वजह से मेरे पास पढ़ने का ज़्यादा समय नहीं था, जिसके कारण मैं पढ़ाई में पीछे छूट रहा था।जब मैंने ये समस्या अपने सीनियर शुक्ला जी को बताई.. तो उन्होंने मुझे अपने पड़ोस की एक लड़की का पता और कॉन्टेक्ट नंबर दिया और उससे मुझे पढ़ने के बात बोलकर उसको दो दिन बाद कॉंटॅक्ट करने के लिए बोला।दो दिन के बाद जब मैंने उस लड़की से बात की.. तो उसने हर शनिवार और रविवार मुझे पढ़ाई के लिए वक़्त देने की बात की.. जिसे मैंने स्वीकार कर लिया।शनिवार को मैं तय वक़्त पर उस लड़की के अपार्टमेंट पर पहुँच गया। जब दरवाजा खुला तो कुछ वक़्त के लिए मैं उस लड़की को देखता ही रह गया.. वो तकरीबन मेरे ही बराबर के कद की थी। बेहद खूबसूरत और उसकी आँखें ऐसी.. जैसे उसकी नज़र मुझे अन्दर तक भेद रही हों..।मैं जड़वत दरवाजे पर खड़ा था कि उसकी आवाज़ ने मेरा ध्यान तोड़ा.. उसने पूछा- तुम्हें शुक्ला जी ने ही भेजा है ना?मैंने ‘हाँ’ कहा और उसके कहने पर मैं उसके अपार्टमेंट में आ गया। अन्दर दो और लड़कियाँ थीं.. उसने कहा- ये मेरी रूम-पार्ट्नर नीता और अनुष्का हैं और मेरा नाम शिवानी है।इतना परिचय देने के बाद उसने मुझे अपने कमरे में बुला लिया और हम दोनों कमरे में चले गए। पहले दिन उसने मेरे बारे में सामान्य जानकारी ली और हमने पढ़ाई के विषय में बातचीत की।फिर फीस आदि तय हो जाने के बाद उसने उसने मुझे दो नियम समझा दिए, पहला मुझे वक़्त का पाबंद रहना होगा और फीस समय पर देनी होगी।मैंने मान लिया और अगले दिन से हम पढ़ने लगे.. शिवानी गंभीर किस्म की लड़की थी और जितना समय मैं उसके साथ व्यतीत करता गया, मेरे अन्दर शिवानी के लिए आकर्षण जागने लगा।इस बीच में मुझे पता चलता गया कि वो अपार्टमेंट शिवानी का था। शिवानी की माँ की कई साल पहले मृत्यु हो चुकी थी और उसके पिता दूसरी शादी कर चुके थे और उनका व्यापार भी कनाडा में होने की वजह से वो देश से बाहर रहते थे।शिवानी अपनी सौतेली माँ से दूर रहने के लिए पढ़ाई के नाम पर दिल्ली में आ गई थी और शुक्ला जी से जान-पहचान और अपना अध्यन मजबूत बनाए रखने के लिए उसने मुझे पढ़ाना मंजूर किया था।अब तक 6 महीने बीत चुके थे और शिवानी की मुझ पर की गई मेहनत का नतीजा मेरे बढ़िया रिज़ल्ट के रूप में आ रहा था।मेरा पहला सेमेस्टर ख़त्म होने वाला था इस बीच में नीता और अनुष्का भी मुझ से खुल चुकी थीं और नीता तो मुझसे ऐसे-ऐसे मज़ाक करती थी.. जिसे या तो मैं समझ नहीं पाता या उसका उन्मुक्त स्वाभाव ही वैसा था।दिसंबर की सर्दियों के दिन थे.. जब मैं शाम को शिवानी के अपार्टमेंट में पहुँचा.. इम्तिहान होने वाले थे और हम दोनों को पढ़ते हुए समय का पता नहीं चला, जब तक हम उठे रात के दस बज चुके थे।जैसे ही मैं कमरे से बाहर निकला..नीता ने मुझे देख लिया और मेरे पीछे से आती हुई शिवानी पर चुटकी ली- क्या बात है जानेमन.. आज तो बड़ा लंबा सेशन चला.. पढ़ रही थीं या पढ़ा रही थीं या अपने ब्वॉय-फ्रेण्ड के साथ मज़े कर रही थीं।शिवानी कुछ नहीं बोली.. लेकिन मुझे अजीब सा लगा, मैं नीता को जबाब देने ही वाला था कि शिवानी ने मेरा हाथ दबा कर मुझे चुप रहने का इशारा किया.. तो मैं कुछ नहीं बोला।मैं अब निकलने ही वाला था कि अनुष्का की आवाज़ आई- तुम कहाँ निकल रहे हो.. इतनी सर्दी है.. मैं खाना बना चुकी हूँ.. अब हमारे साथ ही खाना खा लो।मैं कुछ बोलता.. उसके पहले ही नीता बोली- हाँ.. अब वैसे भी तुम्हें अपने कमरे पर जाने के लिए गाड़ी नहीं मिलेगी.. ऐसा करो कि आज हमारे साथ ही खा लो और आज रात यहीं रुक जाओ।ऐसा बोलकर उसने शिवानी की ओर देखा और बोली- अगर मैडम की इजाज़त हो तो..!नीता के बोलने का तरीका ऐसा था कि शिवानी मुस्कुराए बिना नहीं रह पाई और उसने भी मुझे रुकने के लिए बोल दिया।अब मैं उनके साथ बैठकर खाने लगा।खाने के दौरान नीता सबको छेड़ रही थी अचानक उसने मुझसे पूछा- क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?‘हाँ’ या ‘ना’ बोलने की जगह मेरे मुँह से निकला- गर्लफ्रेंड बना कर मैंने क्या करना है?लेकिन जल्दी ही मुझे पता चल गया कि यह बोल कर मैंने ग़लती कर दी।दूसरी तरफ नीता की शक्ल ऐसी हो गई.. जैसे उसकी लॉटरी निकल आई हो।उसके बाद इन तीनों को पता चल चुका था कि मेरा सेक्स-ज्ञान शून्य है।अब नीता ने मेरी खिंचाई शुरू कर दी।मैं दुआ कर रहा था कि जल्दी से खाना ख़त्म हो और नीता मेरा मानसिक बलात्कार बंद करे।खाना ख़त्म होने तक नीता मुझे देख कर हँसे जा रही थी और मेरे दिमाग़ में यही चल रहा था कि अब अगले कितने दिनों तक नीता मेरा मज़ाक उड़ाएगी।खाना खाने के बाद तय हुआ कि अनुष्का शिवानी के कमरे में सो जाएगी और मैं अनुष्का के कमरे में रात बिताऊँगा।अब 11 बज चुके थे और मैं थका हुआ था.. इसलिए मुझे जल्दी ही नींद आ गई।रात में अचानक 2:30 बजे मुझे नीता ने जगा दिया और बोली- ओ कुम्भकरण.. जाग जा.. थोड़ी दिक्कत हो गई है.. शिवानी के पेट में दर्द हो रहा है.. शायद उसे हॉस्पिटल ले जाना पड़ेगा।मैं शिवानी के कमरे में गया तो मुझे लगा.. शायद उसके पेट में गैस बन रही है.. मैं तुरंत रसोई में गया और वहाँ से अजवायन और सेंधा नमक लाकर शिवानी को गरम पानी के साथ दिया।दस मिनट में शिवानी को आराम आ गया और वो सोने लगी। मैं भी अनुष्का के कमरे में आया और सोने ही वाला था कि तब तक किसी ने कमरे का दरवाजा खटखटाया।आगे के हिस्सों में मैं अपनी कहानी के आगे लिखूँगा.. आप सभी की प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा।मैं शिवानी के कमरे में गया तो मुझे लगा.. शायद उसके पेट में गैस बन रही है.. मैं तुरंत रसोई में गया और वहाँ से अजवायन और सेंधा नमक लाकर शिवानी को गरम पानी के साथ दिया।दस मिनट में शिवानी को आराम आ गया और वो सोने लगी।मैं भी अनुष्का के कमरे में आया और सोने ही वाला था कि तब तक किसी ने कमरे का दरवाजा खटखटाया।मैंने दरवाजा खोल कर देखा तो नीता बाहर खड़ी थी। मेरे दरवाजा खोलते ही वो अन्दर आ गई और मेरी रज़ाई में घुस गई।मैंने पूछा- क्या इरादा है?तो वो बोली- इस शिवानी ने मेरी नींद खराब कर दी.. अब मुझे नींद नहीं आने वाली.. तुम्हें नींद आ रही है?अब तक 3 बज चुके थे.. मेरी नींद भी खराब हो चुकी थी और नीता से बहस की ताक़त मुझ में नहीं थी.. तो मैं भी रज़ाई में घुस गया और नीता से बात करने लगा।आज पहली बार मैं नीता के साथ अकेले बैठा था.. पहले मैंने कभी ध्यान नहीं दिया.. पर नीता भी काफ़ी खूबसूरत थी।अगर मैं उसके कंमेंट्स से बचने के लिए ना भागता तो शायद मैंने उसकी खूबसूरती को नज़रअंदाज़ ना किया होता।मैं चुपचाप नीता की ओर देख रहा था और सर्दी में रज़ाई के अन्दर हम दोनों अपने पैर चिपकाए हुए थे।धीरे-धीरे हमारे पैर गरम हो रहे थे और तभी नीता ने पूछा- क्या देख रहे हो?मैं बोला- कुछ नहीं.. तुम बहुत खूबसूरत हो।नीता हँसी और बोली- तो आइंस्टीन साहब को आज पता चला है कि मैं खूबसूरत हूँ.. गिनीज बुक लाओ.. आज एक नई खोज हुई है।मैं बोला- आज तक मैंने तुम्हें कभी इतने गौर से नहीं देखा.. तो पता नहीं चला.. जैसे ही तुम्हारे सामने आता हूँ.. तुम कुछ ना कुछ ऐसा बोलती हो कि मुझे भागना पड़ता है.. मैं तुम्हारी खूबसूरती पर क्या खाक गौर करूँगा।अब नीता हँसने लगी और अचानक गंभीर होकर बोली- ठीक है बताओ मुझ में ऐसा क्या है.. जो तुम्हें खूबसूरत लगा?अब मेरी ज़बान अटक गई.. किसी को खूबसूरत बोलना आसान है.. पर एक लड़की के सामने उसकी खूबसूरती बयान करना.. नंगी तलवार पर चलने के बराबर है.. ज़रा सी ग़लती की और तुम कटे..खैर.. मैंने ज़्यादा वक़्त बर्बाद करने की जगह बोला- तुम्हारा चेहरा इतना खूबसूरत है कि जो अब देख रहा हूँ तो कहीं और देखने का मन नहीं करता.. तुम्हारे बाल तुम्हें और खूबसूरत बनाते हैं। तुम्हारा फिगर किसी अभिनेत्री से कम नहीं है और क्या कहूँ..इधर रज़ाई के अन्दर मेरे और नीता के पैर अभी तक मिले हुए थे और हम दोनों के शरीर में गर्मी भर रही थी।तभी नीता अचानक मेरे बगल में आ गई और उसने मेरी जांघ पर अपना हाथ रख दिया। मेरा लंड खड़ा हो चुका था और मैं हिल-डुल कर उसे ठीक करने की कोशिश कर रहा था।तभी इधर नीता ने पूछा- क्या तुमने कभी किसी को चुम्बन किया है?मैंने मना किया.. तो उसने पूछा- क्यों?मैं बोला- कभी मौका नहीं मिला।नीता हंसते हुए बोली- मौका बनता या मिलता नहीं.. ढूँढना पड़ता है।अब मुझे अपनी बेवकूफी समझ में आई, रात के 3.30 बजे एक लड़की बिस्तर में मेरे साथ चिपक कर बैठी थी और मैं हाथ आया मौका गँवा रहा था।बिना एक सेकेंड की देरी किए मैंने नीता को अपनी बाँहों में भर लिया और उस पर चुंबनों की बरसात कर दी।नीता अचानक के मेरे इस हमले से हड़बड़ा गई और उसने मुझे धकेल दिया मेरी फट के हाथ में आ गई और मुझे लगा कि आज तो मैं गया काम से..पर नीता शांत थी.. वो बोली- अगर कुछ करना ही है.. तो आराम से करो और प्यार से करो.. अभी हमारे पास कम से कम 2 घंटे हैं.. अगर सेक्स करना ही है तो ऐसे करो कि एक यादगार बने..ऐसा बोल कर नीता मेरे पास आई और उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मुझे चुम्बन करने लगी।मैंने भी उसी की तरह चुम्बन करना शुरू किया.. अब मैं खुद को भूल चुका था और इस पल के मज़े ले रहा था।एक लंबे चुम्बन के बाद हम अलग हुए और नीता ने पूछा- क्या ये तुम्हारा पहला चुम्बन था?मैंने जबाब में सिर हिला दिया.. नीता अब बिस्तर में रज़ाई में घुस गई और उसने अपने कपड़े एक-एक करके उतार कर मुझ पर फेंकने शुरू किए।उसने पहले स्वेटर उतारा.. फिर टॉप.. फिर पायजामा, ब्रा और आख़िर में पैन्टी निकाल कर वो रज़ाई में नंगी हो चुकी थी।अब मैं भी रज़ाई में घुसने लगा.. तो नीता ने मना कर दिया और बोली- मैं तुम्हें नंगा देखना चाहती हूँ।मैंने एक-एक करके कपड़े उतारे और आज मैं पहली बार किसी लड़की के सामने आदमजात हालत में खड़ा था।अब नीता ने मुझे बुलाया और मैं तुरंत रज़ाई में घुस कर नीता के नंगे बदन को चूमने लगा। नीता सिर्फ़ देखने में ही खूबसूरत नहीं थी.. उसका बदन किसी साँचे में ढली मूरत क़ी तरह था।मैंने एक-एक करके कपड़े उतारे और आज मैं पहली बार किसी लड़की के सामने आदमजात हालत में खड़ा था।अब नीता ने मुझे बुलाया और मैं तुरंत रज़ाई में घुस कर नीता के नंगे बदन को चूमने लगा। नीता सिर्फ़ देखने में ही खूबसूरत नहीं थी.. उसका बदन किसी साँचे में ढली मूरत क़ी तरह था।मैं उसके स्तनों को चूसने लगा और फिर उसकी नाभि के पास अपनी गरम सांसों को छोड़ते हुए दुबारा उसके होंठों को चूमने लगा।मैंने एक-एक करके कपड़े उतारे और आज मैं पहली बार किसी लड़की के सामने आदमजात हालत में खड़ा था।अब नीता ने मुझे बुलाया और मैं तुरंत रज़ाई में घुस कर नीता के नंगे बदन को चूमने लगा। नीता सिर्फ़ देखने में ही खूबसूरत नहीं थी.. उसका बदन किसी साँचे में ढली मूरत क़ी तरह था।
मैं उसके स्तनों को चूसने लगा और फिर उसकी नाभि के पास अपनी गरम सांसों को छोड़ते हुए दुबारा उसके होंठों को चूमने लगा।इस ठंडे मौसम में हम दोनों को एक-दूसरे के बदन की गर्मी स्वर्ग जैसा सुख दे रही थी।मैं जब-जब अपनी गरम सांसों को उसकी गर्दन के पास छोड़ता था.. वो सिहर कर मुझसे और चिपक जाती थी।अब नीता पूरी तरह से गरम हो चुकी थी और वो मेरे लंड को पकड़ कर उससे खेलने लगी थी। मेरे लौड़े से खेलते-खेलते उसने अपने मुँह में लंड को डाल कर चूसना शुरू किया.. तो मैं इस नए अनुभव को पूरी तरह से मजा ले रहा था।मेरा लंड चूसते हुए वो 69 की अवस्था में आ गई और अपनी चूत मेरे मुँह के सामने रख कर लेट गई।मैं उसका इशारा समझ कर उसकी चूत चाटने लगा और अपनी जीभ अन्दर तक घुसा-घुसा कर चूत चाटने लगा।थोड़ी देर में ही नीता का बदन अकड़ने लगा और वो बड़े ज़ोर से मेरे मुँह में झड़ गई।मुझे भी लगा की मेरा माल निकलने वाला है.. तो मैंने नीता को रोक दिया और टिश्यू पेपर से अपना मुँह साफ किया।अब नीता पूरी तरह से चुदने के लिए तैयार थी। उसने दीवार के पास जाकर अपनी एक टाँग उठा दी और मुझे खड़े-खड़े चोदने के लिए कहा।मेरा लंड सख़्त हो गया था.. मैं उसके पास गया और धीरे-धीरे अपना लंड  चूत में डाल दिया। मुझे थोड़ी जलन हुई.. पर उसकी भट्टी जैसी चूत में जाते ही जैसे लंड का इंजिन चालू हो गया और मैंने कुछ ही झटकों में 3-4 ज़ोर-ज़ोर के शॉट लगा दिए.. पर इसके साथ ही मेरी जलन बढ़ गई।
मैंने तुरंत लंड को बाहर निकाल कर देखा लंड की चमड़ी पलट चुकी थी और 1-2 जगह से हल्का खून निकल रहा था।ये देख कर नीता की हँसी छूट पड़ी- तो तुम सच में अब तक वर्जिन थे.. चलो मेरा भी रिकॉर्ड बन गया कि मैंने एक लड़के की वर्जिनिटी लूट ली.. अब आओ जो काम शुरू किया है.. उसे ख़त्म भी करो..ये बोल कर वो अपनी चूत के रस से लिपटे मेरे लंड को चाट कर साफ करने लगी।ना जाने क्या जादू था.. उसकी जुबान में कि मेरी सारी जलन जाती रही और मेरा लंड पूरी तरह से सख़्त हो चुका था।अब वो बिस्तर में कुतिया के जैसी बन गई और बोली- चोदो मुझे.. और अब तब तक नहीं रुकना.. जब तक मैं ना झडू..मैं भी पीछे से आकर उसे चोदने लगा।थोड़ी देर इस अवस्था में रहने के बाद उसने मुझे लिटा दिया और मुझे लिटा कर मेरे लंड की सवारी करने लगी।
मुझे ऐसा लग रहा था.. जैसे मैं उसे नहीं वो मुझे चोद रही हो।दस मिनट ऐसे ही चुदाई चलने के बाद मुझे लगा जैसे मेरा माल निकलने ही वाला है।मैंने उससे कहा.. तो भी वो लंड की सवारी करती रही और बोली- मैं भी झड़ने वाली हूँ.. तुम अपना माल मेरी चूत में अन्दर ही छोड़ दो.. कल गोली ला कर दे देना..तभी मेरा वीर्य निकलने लगा और वो भी अकड़ते हुए झड़ गई।इसके बाद हम दोनों साथ-साथ पड़े रहे।आधे घंटे बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और शिवानी और अनुष्का के उठने से पहले हमने एक बार और चुदाई की।

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